मकर संक्रांति 2024 मकर संक्रांति के आगमन पर खिचड़ी क्यों खाई जाती है? जानिए इसका महत्व।

मकर संक्रांति 2024 मकर संक्रांति के आगमन पर खिचड़ी क्यों खाई जाती है? जानिए इसका महत्व।

मकर संक्रांति 2024 आज पूरे देश में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है। यह त्योहार विशेष महत्व रखता है। इस दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं। इसका अर्थ है कि पृथ्वी का उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर मुड़ता है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है।

आज पूरे देश में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है। यह त्योहार विशेष महत्व रखता है। इस दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं। इसका मतलब है कि पृथ्वी का उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर मुड़ता है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। इसे देश के हर राज्य में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जहाँ उत्तर प्रदेश में इसे खिचड़ी कहा जाता है। वहीं, उत्तराखंड में घुघुतिया या काला कौआ, असम में बिहू और दक्षिण भारत में इसे पोंगल के नाम से जाना जाता है। हर कोई अपने-अपने तरीके से पूरे उत्साह के साथ इस त्योहार को मनाता है। इस दिन को कई जगहों पर खिचड़ी कहा जाता है। इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश शामिल हैं। ऐसे में इस दिन लोग खिचड़ी बनाते हैं और खाते हैं।

मकर संक्रांति पर खिचड़ी क्यों खाई जाती है

मान्यता के अनुसार, चावल को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है। वहीं, उड़द की दाल शनि का प्रतीक है और हरी सब्जियां बुध का प्रतीक हैं। ऐसी स्थिति में यदि कुंडली में ग्रहों की स्थिति को मजबूत करना है, तो मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खानी चाहिए। इस दिन लोग कई जगहों पर खिचड़ी बनाते हैं और खाते हैं। खिचड़ी में चावल, काली दाल, नमक, हल्दी, मटर और सब्जियाँ डाली जाती हैं।

इस दिन कई जगहों पर सूर्य की पूजा की जाती है। इनमें मुख्य रूप से बनारस और इलाहाबाद के घाट शामिल हैं। लोग यहां स्नान करने और सूर्य की पूजा करने आते हैं। वहीं, जो लोग घाट पर जाने में असमर्थ होते हैं, वे घर पर नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करते हैं। इस दिन स्नान का बहुत महत्व है। वहीं, स्नान के बाद तिल और गुड़ का प्रसाद भी खाया जाता है। इस दिन खिचड़ी खाई जाती है और दान भी किया जाता है।

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