हिंदी कविता आहिस्ता चल जिंदगी, अभी कई क़र्ज़ चुकाना बाकी है, कुछ दर्द

हिंदी कविता हिस्ता चल जिंदगी, अभी
कई क़र्ज़ चुकाना बाकी है,
कुछ र्द मिटाना बाकी है,
कुछ र्ज निभाना बाकी है |

फ्तार में तेरे चलने से
कुछ रूठ गए कुछ छुट गए
रूठे को मनाना बाकी है,
रोतों को हंसाना बाकी है |

कुछ रिश्ते बनकर, टूट गए
कुछ जुड़ते – जुड़ते छूट गए
उन टूटे – छूटे रिश्ते के
ख्मों को मिटाना बाकी है |

कुछ हसरतें अभी अधूरी है,
कुछ काम भी अभी जरूरी है,
जीवन की उलझी पहेली को
पूरा सुलझाना बाकी है |

ब सांसे को थम जाना है,
फिर क्या खोना, क्या पाना है |

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