Delhi School News अब एयर पलूशन ही नहीं ओमीक्रोन का बढ़ा खतरा

Delhi School News अब एयर पलूशन ही नहीं ओमीक्रोन का बढ़ा खतरा, डरे पैरंट्स बोले- बच्चों के एग्जाम ऑनलाइन हों

Delhi School News Today दिल्ली में एयर पलूशन से दूसरी बार स्कूल बंद हो चुके हैं। स्कूल फिर से बंद होने के फैसले से कई पैरंट्स को कुछ सुकून मिला है, जो बच्चों को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं थे। इन दिनों चल रहे बोर्ड स्टूडेंट्स के लिए पैरंट्स डरे हुए हैं। वहीं, स्कूलों का कहना है कि बार बार स्कूल बंद होने से उनके सामने कई मुश्किलें पैदा हो रही हैं।

हाइलाइट्स

  • दिल्ली में एयर पलूशन की वजह से दूसरी बार बंद हुए स्कूल, ऑनलाइन क्लासेज रहेंगी जारी
  • स्कूल बोले- सरकार को ठोस कदम उठाना चाहिए ताकि प्रदूषण की यह समस्या में कमी आए
  • पैरंट्स असोसिएशन ने कहा- प्रदूषण लेवल में कमी नहीं , स्कूल खोलने का फैसला जल्दबाजी में लिया

नई दिल्ली
दिल्ली के स्कूल एक बार फिर से बंद हो चुके हैं। पलूशन दूसरी बार वजह बनी है। स्कूल फिर से बंद होने के फैसले से कई पैरंट्स को कुछ सुकून मिला है, जो बच्चों को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं थे। उनका कहना है कि सरकार यह भी ध्यान दे कि प्राइवेट स्कूल अपने यूनिट टेस्ट ऑनलाइन ही रखें क्योंकि कई स्कूल ऑफलाइन एग्जाम के लिए बच्चों पर दवाब बना रहे हैं। इन दिनों चल रहे बोर्ड स्टूडेंट्स के लिए पैरंट्स डरे हुए हैं। वहीं, स्कूलों का कहना है कि बार बार स्कूल बंद होने से उनके सामने कई मुश्किलें पैदा हो रही हैं। उनका कहना है कि हर साल की इस दिक्कत के लिए सरकार को ठोस कदम उठाना चाहिए ताकि प्रदूषण की यह समस्या में कम से कम कमी आए।

स्कूल खोलने का फैसला जल्दबाजी में लिया गया
दिल्ली पैरंट्स असोसिएशन की प्रेजिडेंट अपराजिता गौतम कहती हैं, हमने पहले भी कहा था कि स्कूल खोलने का फैसला जल्दबाजी में लिया गया क्योंकि प्रदूषण स्तर नीचे ही नहीं आया। मगर हैरानी है कि सीबीएसई के 10वीं और 12वीं के बोर्ड स्टूडेंट्स के लिए यह फैसला नहीं लिया गया, जबकि खतरे में तो वो भी हैं। साथ ही, सरकार को उन स्कूलों को चेक करना चाहिए जो कह रहे हैं कि बच्चों की अटेंडेंस बढ़ गई थी, क्योंकि हमें कई पैरंट्स से शिकायत मिली है कि वे बच्चों पर स्कूल आने का दवाब बना रहे हैं, खासतौर पर यूनिट टेस्ट के नाम पर। तिलक नगर में रहने वालीं पैरंट निशा जोशी कहती हैं, मेरा बेटा क्लास 9 में है। उसे दस दिन से खांसी है, डॉक्टर ने घर में ही रहने को कहा है। मगर ऑफलाइन यूनिट टेस्ट के नाम पर वो स्कूल जाने की जिद कर रहा था। शिक्षा विभाग को देखना चाहिए कि स्कूल पढाई, एग्जाम का ऑनलाइन ऑप्शन जरूर रखें क्योंकि प्रदूषण ही नहीं, अब ओमिक्रोन का खतरा है।

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‘बार बार स्कूल बंद करना नहीं है हल’
वहीं, स्कूलों का कहना है कि प्रदूषण को लेकर हल लाना बहुत जरूरी हो गया है। जी डी गोएनका, कड़कड़डूमा की प्रिंसिपल अनुपमा चोपड़ा कहती हैं, पिछले चार-पांच साल से प्रदूषण की यह दिक्कत हमारे सामने है। पिछले डेढ़ साल से स्कूल बंद थे इसलिए नुकसान ज्यादा है। पहले तो प्रदूषण कम करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है। दूसरा, मुझे लगता है कि अब स्कूलों को अपना कैलेंडर रिवाइज कर देने की जरूरत है जिसमें दीवाली के बाद करीब 10 दिन का ब्रेक रखा जाए।

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प्रिंसिपल चोपड़ा ने कहा, कोविड, डेंगू, प्रदूषण, अब ओमिक्रॉन… इस वजह से पैरंट्स भी बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं है। हमारे स्कूल को सिर्फ 10% पैरंट्स से सहमति मिली थी। वहीं, रोहिणी के माउंट आबू पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल ज्योति अरोड़ा कहती हैं, यह परेशान करता है कि स्कूल एक बार फिर प्रदूषण की वजह से बंद कर दिए गए हैं। हम पॉलिसी बनाने वालों से कहना चाहते हैं कि बढ़ते प्रदूषण के स्तर की परेशानी संभालने के लिए वे मिलकर चर्चा करें क्योंकि बार बार स्कूल बंद करना हल नहीं, बल्कि हमें लॉन्ग टर्म प्लान बनाना होगा।

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बच्चों की लर्निंग कम होगी, पैरंट्स की लें राय
प्राइवेट अनऐडेड स्कूल्स की एक्शन कमिटी के जनरल सेक्रेटरी भरत अरोड़ा कहते हैं, स्कूलों में बच्चों ने आना शुरू कर दिया था, वे रूटीन में आ रहे थे। मगर बार बार स्कूल बंद होने से फिजिकल क्लासेज रूटीन में नहीं हो पा रही हैं। दो साल से प्राइवेट स्कूलों को भी इसका बड़ा नुकसान झेलना पड़ा है। हम प्रदूषण के बिगड़ते स्तर को समझ सकते हैं मगर स्कूलों को इस तरह से बंद करने से बच्चों की लर्निंग ही कम होगी। वहीं, प्राइवेट लैंड पब्लिक स्कूल ट्रस्ट के नैशनल जनरल सेक्रेटरी डॉ चंद्रकांत सिंह कहते हैं, यह गलत फैसला है। इतना बड़ा फैसला लेने से पहले सरकार को लोगों की राय लेनी चाहिए। स्कूल बंद करना एयर क्वॉलिटी सुधारने का हल नहीं। बच्चों के भविष्य को देखते हुए सरकार को फैसला लेना चाहिए।

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