Hindi Kavita क्या खोजते हो दुनिया में, जब सब कुछ तेरे

Hindi Kavita क्या खोते हो दुनिया में,

सब कुछ तेरे अन्दर है।

क्यों देखते हो औरों में,

जब तेरा मन ही र्पण है।

दुनिया बस एक दौड़ नहीं,

तू भी अश्व नहीं है धा

रुक कर खुद से बातें करले,

न्तर मन को शान्त तो करले।

सपनों की गहराई समझो,

अपने अन्दर की अच्छाई समझो

स्वाध्याय की आदत डालो, जी

वन को तुम खुकर जीलो ।

आलस्य तुम्हारा दुश्मन है तो,

पुरुषार्थ को अपना दोस्त बनालो।

जीवन का ये रस्य समलो,

और खुशियों से तुम नाता जोड़ो।

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