Hindi Story: एक दिल दहला देने वाले गांव की सच्ची कहानी, अभी पढ़ें

Hindi Story: एक दिल दहला देने वाले गांव की सच्ची कहानी, अभी पढ़ें 

1 दिसम्बंर 1997 की दिन था उत्तर भारत की हड्डी गला देने वाली ठंड पड रही थी, रोज की तरह मल्लाह नाव लेकर अपनी जीविका के लिये सोन नदी के किनारे बैठे इतंजार कर रहे थे । तभी शॉल ओढ़े 100 के लगभग लोग जिनकी सिर्फ आँखे दिखाई दे रही थी आये और बोले हमे क्ष्मणपुर-बाथे गॉव में जाना है !

ल्लाहों ने उन्हें अपनी नाव पर बैठा लिया और सोन के सीने को चीरते हुऐ दूसरे किनारे पहुचा दिये ! मल्लाह उन लोगों की अजीब हरक्कतो से डरने लगे थे , उन्हें अन्देशा हो गया कि कोई अन्होनी होने वाली है, इसी डर के वजह से उनसे किराया तक मांगना उचित नही समझा!

लेकिन उन मल्लाहों को क्या पता था कि यह पल उनके जीवन के आखिरी पल है, वो अपने जीवन की भीख मांगने लगे,साहेब हम क्या किये है……… हमे छोड़ दीजिए हमारे छोटे छोटे बच्चे हैं,वो जीते जी मर जायेंगे, लेकिन शॉल से ढके रणवीर सेना अर्थात भूमिहार /ठाकूर जाति के लोगो ने एक ना सुनी और उन तीन मल्लाहों के वही गला काट दिये । ताकि कोई सुबूत ना रहे…..

फिर ये 100 लोग दाखिल होते हैं लक्ष्मणपुर-बाथे गॉव में जहाँ 60 से अधिक दलितों को जिन्दा जला देते हैं जिनमें 15 गर्भवती महिलाए भी शामिल थी जिनसे पहले बालात्कार किये फिर, कुचल – कुचल कर मार डाला , 11 मासूम बच्चों के गाल काट दिये बाकि अन्य लोग गोलियों से रौद दिये….

हा जाता है उस दिन लक्ष्मणपुर-बाथे गाँव की हवाओं से रक्त टपक रहा था, पक्षी जानवर तक दलितों की बेरहमी से हत्या पर रो रहे थे !शायद पूरा कायनात दलितों की हत्या पर रो रहा था, कई दिनों तक दलित उनकी लाशो को रख कर रोए थे , मदद मांगी थी उस समय बिहार में लालू प्रसाद यादव की पत्नी रावड़ी सीएम थी !
कोबरा स्ट्रिंग ऑपरेशन के जरिये कहा जाता है उन रणवीर सेना को चन्द्रशेखर सिहं द्वारा हथियार मुहैया कराई गई थी!

आज भी उस नरसंहार से बचे लोगों से बात करो तो अन्दर से सिहर उठते हैं । वैसे तो उस नरसंहार में 46 लोगों को दोषी पाया गया लेकिन बाद में बरी कर दिया गया , सिर्फ एक व्यक्ति पर सारा आरोप मढ़ कर फाइले हमेशा के लिये बंद कर दिया है!

मैं ये पोस्ट इस लिये लिखा हूँ ताकि ये फेसबुक और WhatsApp University के पैदाइश दलित युवा जो कश्मीर फाइलों पर दया दिखा रहे है कभी अपने अतीत के पन्ने पलट कर भी देख लो, ताकि पता चले की ऐसे कश्मीरी पंडित जैसे दंश हजारों सालों से दलित झेलते आरहे हैं!

 देश में ऐसे हजारों नरसंहार हुए जिसके बदले में दलितों को कुछ नही मिला, ना ही उनका जले हुऐ घर मिला,ना ही पैसा, और नाही न्याय, सामाजिक न्याय आज नही मिल रहा है!

लेकिन कश्मीर पंडितों को 32 साल से सरकार बैठा के खिला रही है ,घर गाड़ी सब कुछ दी है ! और आज उसके नाम पर वोट ले रही है……..

फिर उन दलितों को क्या मिला ? जो ऐसे नरसंहार में मारे गये, यही नही हर रोज कहीं न कहीं दलितो की हत्या, बलात्कार या जाति उत्पीड़न का शिकार होना पड़ रहा है…….. तुम्हें क्या मिला??

 

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