RAMAYAN ( रामायण ) Bhagwat Gita (भागवत गीता) All Ramayan Episode. ऑल रामायण एपिसोड।

तुलसीकृत रामचरितमानस बनाम आयंगर द्वारा अनुवादित वाल्मीकि रामायण

विष्णु अवतार राम के जीवन को हमने अलग-अलग पहलुओं से देखा है और उनके जीवन की अलग-अलग कहानियों से परिचित हुए हैं। अकसर देखा गया है ऋषियों, ज्ञानियों और विशेषज्ञों ने पौराणिक कथाओं को समय के साथ-साथ अलग-अलग संस्करणों में लिखा है। राम के जीवन पर आधारित रामायण को भी दो महान ऋषियों, वाल्मीकि और तुलसीदास ने अपने-अपने शब्द दिए हैं, जिनके दृष्टिकोण और अर्थों में गहरा अंतर विद्यमान है। जहां तुलसी रामायण बेहद सरल, संक्षिप्त होने के साथ-साथ इसमें कुछ भी ऐसा नहीं है जो खलबली मचा सके किंतु आयंगर द्वारा अनुवादित वाल्मीकि रामायण इससे पूरी तरह भिन्न है।


तुलसी रामायण

तुलसी रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन रानियां और चार पुत्र थे। जिनमें से ज्येष्ठ थे विष्णु के अवतार भगवान राम। सीता से विवाह होने के बाद राम को भाई लक्ष्मण और अपनी पत्नी के साथ 14 वर्ष के वनवास के लिए जाना पड़ा। जहां रावण ने सीता का हरण कर लिया और हनुमान की सहायता से उन्होंने रावण का अंत किया और पुन अयोध्या लौटे।


वाल्मीकि रामायण

लेकिन तुलसी रामायण से करीब 2000 वर्ष पूर्व वाल्मीकि द्वारा लिखी गई रामायण को श्री आयंगर ने अनुवादित किया जो राम के जीवन के इस अध्याय से पूरी तरह भिन्न है। जहां एक ओर तुलसीदास ने अपनी रचना को राम के जीवन में केवल एक ही स्त्री का संगम दर्शाया है वहीं आयंगर द्वारा अनुवादित वाल्मीकि रामायण में राम के चरित्र का दूसरा ही पहलू दिखाई देता है।

राम की अन्य पत्नियां

तुलसी रामायण में यह दर्शाया गया है कि राम ने अपने जीवन में केवल सीता को ही पत्नी बनाया था लेकिन आयंगर द्वारा अनुवादित वाल्मीकि रामायण के अनुसार राम ने सीता के अलावा भी कई स्त्रियों से विवाह किया था। इतना ही नहीं जहां एक ओर तुलसी रामायण में राम को भगवान का दर्जा दिया गया है वहीं आयंगर द्वारा अनुवादित वाल्मीकि रामायण में राम को एक साधारण पुरुष के तौर पर दिखाया गया है जो मात्र संयोगवश अयोध्या के राजा बन जाते हैं।

अयोध्या कांड

श्रीनिवास आयंगर द्वारा अनुवादित वाल्मीकि रामायण के अयोध्या कांड 8 के पृष्ठ संख्या 28 में यह लिखा है राम ने शाही नियमों का पालन करते हुए यौन आनंद प्राप्त करने के लिए एक से अधिक स्त्रियों से विवाह किया था। श्री आयंगर ने इसमें कितनी छेड़छाड़ की है, इसे जानना आवश्यक है।



एक से अधिक विवाह

अगर आयंगर द्वारा अनुवादित वाल्मीकि रामायण पर विश्वास किया जाए तो राम और सीता के विवाह को एक आदर्श विवाह इसलिए नहीं कहा जा सकता क्योंकि सीता के अलावा राम की कई उपपत्नियां थीं। जिस प्रकार उनके पिता ने एक से अधिक विवाह किए थे उसी प्रकार पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए उन्होंने भी एक से अधिक विवाह किए थे।

अशोक वन

आयंगर द्वारा अनुवादित वाल्मीकि रामायण में राम के वनवास के बाद पुन अयोध्या लौटने को भी वर्णित किया गया है, जिसके अनुसार राम अपना ज्यादातर समय अशोक वन में बिताते थे। यहां उनके मनोरंजन के सभी साधन उपलब्ध करवाए जाते थे तथा उनके खान-पान में मांस, मदिरा तक शामिल होते थे|

मदिरापान

इस अनुवादित रामायण के अनुसार राम प्रचुर मात्रा में मदिरापान करते थे और कभी-कभार सीता भी उनका साथ देती थीं। अशोक वन में स्वर्ग की अप्सराएं भी आकर अपने नृत्य द्वारा उनका मनोरंजन करती थीं और राम उनके बीच बैठे इन सबका आनंद उठाते थे।

राम का चरित्र

इसके अनुसार राम का चरित्र ‘महिलाओं के बीच प्रसिद्ध राजकुमार’ जैसा था और यह उनकी दिनचर्या का एक बड़ा भाग था।

वशिष्ठ रामायण

वाल्मिकी रामायण के एक अन्य संस्करण, जिसे वशिष्ठ रामायण कहा जाता है, के आदि पर्व में दशरथ के युवाकाल, उनके अयोध्या के राजा बनने के साथ-साथ उनकी पुत्री का भी वर्णन मिलता है।

दशरथ का राजतिलक

वशिष्ठ रामायण के अनुसार जब कोसल, अयोध्या की राजधानी, के राजा अज की मृत्यु हुई तो उनका पुत्र दशरथ मात्र 8 माह का था। 18 वर्ष की आयु में उन्होंने कोसल का राजपाट संभाल लिया और जल्द ही एक ताकतवर राजा के रूप में खुद को स्थापित किया।

सगोत्र विवाह

इसी बीच उत्तरी कोसल के राजा की पुत्री कौशल्या से उन्हें प्रेम हो गया और उन्होंने विवाह का प्रस्ताव कौशल्या के पिता तक पहुंचाया। कौशल्या के पिता यह नहीं जानते थे कि दशरथ और उनका गोत्र समान है, अनजाने में उन्होंने इन दोनों के विवाह को अनुमति दे दी|

दशरथ और कौशल्या

लंका का राजा और असुर सम्राट रावण भी कौशल्या से विवाह करना चाहता था। वह जानता था कि दशरथ और कौशल्या के पुत्र के हाथ से ही उसका अंत होगा इसलिए वह नहीं चाहता था कि इन दोनों का विवाह हो। विवाह के दिन रावण ने कौशल्या का हरण भी किया लेकिन फिर भी नियति ने दशरथ और कौशल्या को मिलवा दिया।

विकलांग पुत्री

विवाह के बाद कौशल्या ने एक विकलांग पुत्री को जन्म दिया जिसका नामा था शांताई। महर्षि वशिष्ठ ने उन्हें बताया कि समान गोत्र में विवाह होने की वजह से उनकी जो भी संतानें होंगी वो विकलांग ही जन्म लेंगी। लेकिन अगर वे इस पुत्री को किसी दैवीय युगल को दे देते हैं तो उनकी यह परेशानी हल हो सकती है।

शांताई

दशरथ और कौशल्या ने अपनी पुत्री अंगदेश के राजा रोमापद को गोद दे दी और समय के साथ-साथ शांताई की विकलांगता भी दूर हो गई। रोमापाद ने शंताई का विवाह महर्षि ऋषिश्रृंग्य से किया।

पुत्रकामेष्टि यज्ञ

आगे चलकर ऋषिश्रृंग्य ने ही दशरथ के लिए पुत्रकामेष्टि यज्ञ संपन्न किया जिसके बाद उन्हें राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न नाम के चार पुत्र प्राप्त हुए।

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