Hindi poetry (हिंदी शायरी) छलकते दर्द को होठों से बताऊं कैसे, ये खामोश

Hindi poetry (हिंदी शायरी) छलकते दर्द को होठों से बताऊं कैसे, ये खामोश गजल मैं तुमको सुनाऊं कैसे, दर्द गहरा हो तो आवाज़ खो जाती है, जख़्म से टीस उठे…

Hindi poetry (हिंदी शायरी) छलकते दर्द को होठों से बताऊं कैसे, ये खामोश

Hindi poetry (हिंदी शायरी) छलकते दर्द को होठों से बताऊं कैसे, ये खामोश गजल मैं तुमको सुनाऊं कैसे, दर्द गहरा हो तो आवाज़ खो जाती है, जख़्म से टीस उठे…

Hindi poetry (हिंदी शायरी) छलकते दर्द को होठों से बताऊं कैसे, ये खामोश

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