The Poem – वो पिता होता है, हर मुश्किल को जो सहता है, और कुछ भी न

The Poem – वो पिता होता है, 

हर मुश्किल को जो सहता है
और कुछ भी न कहता है
वो
पिता होता है.

खिलौने जो लाता है,,
बच्चो को कपड़े नए
जो पहनाता है
वो पिता होता है,

खुद के होते है जूते फटे और
लिबास पुराना जिसके
तन पर होता है
वही तो पिता होता है,

माँ की मांग का
जो सिंधुर होता है
बच्चो की खुशिया
वो भरपूर होता है
वही तो पिता होता है,

बाहर से जो कड़क होता है
और दिल से प्यार की
सीधी सड़क होता है
वही तो पिता होता है,

लाख मुश्किलो से लड़कर भी
जो कुछ न कहता है
बार बार तब भी
पितृसत्ता का दंश सहता है
वही तो पिता होता है,

मासूम सी अपनी परी का
जो आइडियल होता है
राजा बेटे को पीठ पर
बिठाने वाली साईकल होता है
वही तो पिता होता है,

ज़्बात अपने बया
आसानी से जो करता नही
परिवार की अखंडता के लिये
सामने जो रोता नही
वही तो पिता होता है,

हर परिवार का जो
मजबूत आधार होता है
हर कुटुम्ब की खुशी का
वो संसार होता है
वही तो पिता होता है,

से पिता का न कभी तुम
दिल दुखाना
रूठ जाए गर, तो
प्यार से उन्हें मनाना

क्योंकी वो पिता होता है
उन्हें खुश रखना ही
हर सन्तान का कर्तव्य होता है
कर्तव्य होता है,

क्योंकि
वो पिता होता है

    धन्यवाद
अनन्त दिव्यांश द्वारा समर्पित

Note:- अपने पिता का सम्मान करें। उनका आदर करे। कई बार उनके कठोर स्वभाव के कारण हम उनसे दूरी बना लेते है। लेकिन उनके दिल की नरमता को समझने का प्रयास कर, उन्हें दिल से प्यार करे। जब परिवार के लिये सारी मुश्किलों से लड़ना होता है,तो पिता सबसे पहले खड़ा होता है।
अतः पितृ सत्ता कि निंदा करते समय कभी भी अपने पिता के त्याग, बलिदान और परिवार के लिये समर्पण को न भुलाये।
और
जिस तरह नारी के प्रति मातृभाव रखने से पुरुष भाईयो का ब्रह्मचर्य सहज होता है। उसी तरह सभी बहने भी परपुरुष के प्रति भाई और पिता का भाव रखे। इससे स्त्री शरीर मे ब्रहचर्य और संयम आसान हो जाएगा

हर पिता के सम्मान में और बहनो के ब्रहचर्य की सहजता के लिये यह कविता
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